‘निर्वाण’ की प्राप्ति के लिए, क्या सभी सांसारिक संबंधों और जिम्मेदारियों का त्याग आवश्यक है? Nirvana Buddha Philosophy

Buddha philosophy

Nirvana Buddha Philosophy Nirvana Buddha Philosophy: बौद्ध दर्शन में ‘निर्वाण’ (मुक्ति) को पीड़ा (दुःख) और पुनर्जन्म के चक्र (संसार) से पूरी मुक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है। यह जीवन के समस्त मोह, द्वेष, …

Read more

दुःख की सार्वभौमिकता के बावजूद, क्या जीवन में वास्तविक और स्थायी सुख की प्राप्ति संभव है? Dukkha Buddha Philosophy

Buddha philosophy

Dukkha Buddha Philosophy Dukkha Buddha Philosophy: बुद्ध ने ‘दुःख’ (पीड़ा) की सार्वभौमिकता को अपने ‘चार आर्य सत्य’ (Four Noble Truths) के माध्यम से समझाया, जिसमें यह बताया गया है कि जीवन का मूल स्वभाव दुःखमय …

Read more

‘शून्यता’ की अवधारणा नैतिकता और नैतिक निर्णयों को कैसे प्रभावित करती है? Buddha Philosophy Sunyata

sunyavada philosophy founder

शून्यता (Buddha Philosophy Sunyata) शून्यता (Buddha Philosophy Sunyata): बौद्ध दर्शन में ‘शून्यता’ (Emptiness) की अवधारणा केंद्रीय स्थान रखती है। इसका तात्पर्य यह है कि सभी वस्तुएं और घटनाएं स्वतंत्र, स्थायी, और स्वभाविक रूप से मौजूद …

Read more

‘प्रतीत्यसमुत्पाद’ सिद्धांत के संदर्भ में, स्वतंत्र इच्छा और पूर्वनिर्धारण के बीच संबंध क्या है? Buddha Philosophy Pratityasamutpada

pratityasamutpada

प्रतीत्यसमुत्पाद (Buddha Philosophy Pratityasamutpada) प्रतीत्यसमुत्पाद (Buddha Philosophy Pratityasamutpada): बुद्ध के दर्शन में ‘प्रतीत्यसमुत्पाद’ (Dependent Origination) का सिद्धांत यह बताता है कि सभी घटनाएं और परिस्थितियां आपस में सह-निर्भर और परस्पर संबंधित हैं। इसका अर्थ है …

Read more

क्या ‘अनात्म’ (स्व का अभाव) का सिद्धांत व्यक्तिगत पहचान और आत्म-जागरूकता के साथ कैसे सामंजस्य स्थापित करता है? Buddha Philosophy Anatman

Buddha Philosophy Anatman

बुद्ध दर्शन (Buddha Philosophy Anatman) बुद्ध दर्शन (Buddha Philosophy Anatman): ‘अनात्म’ (स्व का अभाव) का सिद्धांत बुद्ध दर्शन का एक केंद्रीय तत्व है, जो यह कहता है कि स्थायी, स्वतंत्र और अपरिवर्तनीय आत्मा का अस्तित्व …

Read more