रूस यूक्रेन पर क्यूं आक्रमण किया, इतिहास और भारत पर प्रभाव

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2022 Russian invasion of Ukraine

इस बढ़ती वैश्वीकरण में दो देशों का आपस में युद्ध का होना पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है। हमें भली भांति ज्ञात है की प्रथम विश्व युद्ध (First World War) और द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) की शुरुआत कैसे हुई और उसका खामयाजा कितना चुनका पड़ा। यह और चिंता में डाल देने वाली बात है जब कोई ताकत वार देश युद्ध के मैदान में उतर जाता है। अभी वर्तमान समय में दुनिया में काफ़ी उथल पुथल फैली हुई है। अभी कोरोना (COVID -19) से पूरी तरह से मुक्ति ही नही मिली। रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग झेड़ (why is russia invading Ukraine) दी है।

Russia और Ukraine विवाद

रूस और यूक्रेन के बीच विवाद अब युद्ध को जन्म दे दिया है। आख़िर यह हुआ ही क्यों जब सोवियत संघ (Soviet Union) के टूटते के बाजूद यूक्रेन हमेशा रूस का समर्थन करता आ रहा था। रूस और यूक्रेन विवाद की शुरुआत वर्ष 2014 से मान सकते है। यह तब हुआ जब रूस ने यूक्रेन (Ukraine) के क्रीमिया (crimea) भाग को अपने हिस्से (2014 crimean crisis) में मिला लिया।

 यद्यपि यह विवाद अपनी चरम सीमा पर उन दिनों पहुंची जब जनवरी 2021 को यूक्रेन ने अमेरिका (America) से नाटो (NATO) में शामिल होने की दरख्वास्त की। रूस हरगिज़ नहीं चाहेगा की यूक्रेन कभी भी नाटो का हिस्सा बने। अगर ऐसा होता है तो रूस को बड़ा नुकसान पहुंचेगा, यह उनके सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यही कारणों से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है।

Russia और Ukraine विवाद का इतिहास

सोवियत संघ (Soviet Union) जब कई देशों में टूटा तब उनमें से Ukraine भी एक था। सन 1991 में Ukraine ने अपने आप को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया स्वतंत्र राष्ट्र के पहले राष्ट्रपति रेफरेंडम से लियोनिद क्रावचुक बने। कुछ समय सत्ता में रहने के पश्चात् जनता में अविश्वास कारण दुबारा चुनाव सन 1994 में हुए। इस चुनाव में लियोनिद कुचमा ने लियोनिद क्रावचुक को हराया और नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। वर्ष 1999 में कुचमा फिर से राष्ट्रपति बने। परंतु चुनाव में अनियमितता के आरोप लगे फिर भी अगले 5 साल सरकार चलाई गई। वर्ष 2004 में विक्टर यानूकोविच राष्ट्रपति बने जो की पूरी तरह से रूस समर्थित राष्ट्रपति थे, इन पर भी चुनाव में धांधली का आरोप लगा और Ukraine जनता ने सड़क पर निकलकर प्रदर्शन किए। इसके लिए एक रेवुलेशन लाया गया, जिसे ऑरेंज रिवोल्यूशन ( Orange Revolution ) से जाना गया है। यह बहुत ही शक्तिशाली था और इसके बाद पश्चिम के पक्षधर विक्टर यूस्चेन्को को राष्ट्रपति चुना गया।

Ukraine की राजनीति में उथल पुथल होती रही और वर्ष 2005 में उस समय के वर्तमान राष्ट्रपति यूस्चेन्को ने रूस से अपने ऊपर होने वाले प्रभाव और दबदबा कम करने के लिए संकल्प लिया। उन्होंने Ukraine को NATO (North Atlantic Treaty Organization) और EU ( European union ) में शामिल करने की इच्छा जताई। परंतु उनकी यह फैसले से रूस को कतई स्वीकार्य नहीं था। खासकर Ukraine को NATO समूह में जोड़ना, इसको लेकर रूस अपने ऊपर की सुरक्षा को लेकर भली भांति परिचित थे। इसके बाद सन 2008 में NATO समूह ने Ukraine से वादा किया की आप हमारे गठबंधन का हिस्सा होंगे परंतु जब तक भी यह NATO का सदस्य नहीं बना था। वर्ष 2010 में यानुकोविच यूक्रेन के राष्ट्रपति बने। वर्ष 2013 में यानुकोविच ने US के साथ ट्रेड वार्ता को खारिज किया और रूस के साथ ट्रेड समझौता किया। इस वजह से यूक्रेन की राजधानी कीव में बड़ा प्रदर्शन प्रारंभ हुआ।

इस प्रदर्शन में वर्ष 2014 में 14 हजार से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं। यूक्रेन की संसद ने यानुकोविच को हटाने के लिए वोट किए। यानुकोविच ने देश छोड़ कर रूस चले गए। रूस समर्थन के लोगो ने यूक्रेन के क्रीमिया में संसद पर रूसी झंडा फहराया। 16 मार्च 2014 को रूस ने क्रिमिया को रेफरेंडम से रूस में शामिल किया।

वर्ष 2017 में यूक्रेन ने EU (european union) के साथ फ्री ट्रेड (Free Trade) डील साइन की। वर्ष 2020 में IMF ने 5 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता राशि यूक्रेन को दी। जनवरी 2021 को यूक्रेन ने अमेरिका से नाटो में शामिल होने की बात कही। नवंबर 2021 को रूस ने यूक्रेन के बॉर्डर पर अपनी सेनाओं को भेजी। जनवरी 2022 को यूक्रेन –रूस तनाव के बीच अमेरिका और रूस के राजनैतिक वार्ता विफल हो गई। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया और यह युद्ध प्रारंभ हुआ।

सोवियत संघ क्या था?

सोवियत संघ जिसे हम Union of Soviet Socialist Republics ( USSR ) के नाम से भी जानते हैं, 15 देशों का एक ऐसा समूह था जो सन 1922 से 1991 तक अस्तित्व में रहा और इसके बाद इस का विघटन हो गया। इसमें Ukraine, आर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे।

NATO क्या है ?

NATO का पूरा नाम उत्तरी अटलाण्टिक सन्धि संगठन ( North Atlantic Treaty Organization ) है। यह विश्व का सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन है। जिसका मुख्य उद्देश्य अपने सदस्य देशों को किसी गैर नाटो सदस्य (None NATO Members) से सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करती है। अभी वर्तमान में नाटो में 30 देशों का समूह है, जिसमे अमेरिका सबसे बड़ा और आइसलैंड सबसे छोटा देश है। Russia और Ukraine नाटो का सदस्य नहीं है। NATO का मकसद जुड़ी हुई सुरक्षित नीति ( Joint Security Policy ) है।

NATO की स्थापना कब हुई?

1945 में जब दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति हुई, तब अन्य देशों ने सोवियत संघ के विरोध में एक ऑर्गनाइजेशन बनाने का फैसला लिया। जिसके तहत NATO समूह के किसी भी देश पर हमला होने पर सभी देश जो NATO समूह में है, अपने ऊपर हमला मानेंगे और अपनी सैन्य शक्ति से उस देश की रक्षा करेंगे। क्योंकि इनमें से अधिकतर देश बहुत छोटे थे, इसलिए वह NATO में शामिल होने के लिए तैयार हुए और अब Ukraine भी NATO में जुड़ना चाहता है; परंतु अब यहां पर सवाल यह पैदा होता है कि रूस क्यों नहीं NATO में सम्मिलित होता है?

रूस को NATO से क्या समस्या है ?

दरअसल यह बात है उस समय की जब सोवियत संघ हुआ करता था और यह बात तो आपको पता ही होगी कि रूस भी सोवियत संघ का हिस्सा था और पश्चिमी देशों का पूर्वी देशों की तरह बढ़ता रुझान रूस को पसंद नहीं आया और रूस ने इसका कड़ा विरोध किया। सोवियत संघ के समय में Ukraine भी सोवियत संघ का हिस्सा था, परंतु 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद Ukraine अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। परंतु Ukraine के छोटे राष्ट्र होने पर कहीं ना कहीं रूस का दबदबा Ukraine पर बना रहता था, और अब वह भी NATO में जुड़ना चाहता है जो कि रूस इसका विरोधी है। अगर Ukraine भी NATO में शामिल हो जाता है तो भविष्य में रूस Ukraine पर अपना स्वामित्व नहीं जमा पाएगा।

पूर्व रूसी क्रांतिकारी Vladimir Lenin का कहना था: “Ukraine का रूस से अलग होना मतलब रूस का सिर अलग होने जैसा है” यह बात बहुत हद तक सच मानी जाती है।

Russia के समर्थन वाले देश कौन से हैं ?

 वर्तमान में  जब रूस ने Ukraine पर हमला कर दिया है, इन हालातों को देखते हुए कोई भी देश खुलकर रूस का समर्थन नहीं कर रहा है परंतु फिर भी वर्तमान में रूस का विरोध ना करना भी रूस का समर्थन ही है।रूस के साथ खुले रूप से चीन और क्यूबा समर्थन कर रहे है। इसके अलावा सोवियत संघ का हिस्सा रहे अर्मेनिया, बेलारूस, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, और कजाकिस्तान देश रूस का साथ में खड़े हो सकते है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UN Security Council ) में जब यह मुद्दा उठा तो  इन तीनों ही देशों ने अपना वोट दोनों में से किसी को भी नहीं दिया है। यहां पर इस बात का कोई असर इस कारण भी नहीं होता क्योंकि Russia के पास यहां वीटो (यह अलग समूह है) पावर काम आ गई और उसने इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया। इस तरह से भारत ने सदियों पुराने रूस के रिश्ते को बरकरार रखा। परन्तु औपचारिक तौर पर भारत कभी नही कहा की हम रूस का समर्थन करते है।

Ukraine के समर्थन वाले देश कौन से हैं

वर्तमान में अमेरिका जैसी राष्ट्र शक्ति Ukraine के खुले समर्थन में है, और इसके अलावा NATO में आने वाले देश भी इसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल और ब्रिटेन। वैसे तो वर्तमान में Russia की निंदा हर किसी देश की तरफ से की जा रही है परंतु फिर भी यह बिना किसी फर्क के Ukraine पर हमला कर रहा है।

Russia, Ukraine को NATO में मिलने क्यों नहीं देना चाहता ?

दरअसल रूस को NATO से क्या समस्या है पॉइंट से आपको यह बात तो समझ आ ही गई होगी कि NATO एक Russia समर्थित समूह नहीं है। यह ऐसे स्वतंत्र देशों का समूह है जो कि किसी एक देश पर आने वाली आपदा को सभी मिलकर उस देश की मदद करने के लिए तैयार रहेंगे। अभी तक Ukraine पर बहुत हद तक Russia का हक माना जाता है परंतु जैसे ही वह NATO में शामिल होगा? Russia का वाहक पूरी तरह खत्म हो जाएगा जो कि उसे मंजूर नहीं है। इसके अलावा अमेरिका इस चीज की सबसे बड़ी वजह नजर आ रहा है।

दरअसल अमेरिका Ukraine को NATO देशों में सम्मिलित करके Russia तक अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। क्योंकि Russia अपने चारों तरफ से NATO समूह के देशों से गिर जाएगा और किसी एक पर भी आक्रमण या विवाद करने पर सभी देश Russia को चारों ओर से घेर लेंगे भविष्य में अमेरिका इस तरह से रूस पर विजय पा सकता है।

इसलिए यह Russia को बिल्कुल भी मंजूर नहीं होगा कि Ukraine भी NATO देश में शामिल होकर एक रूस विरोधी राष्ट्र बन जाए।

Ukraine के NATO में जोड़ने से अमेरिका को क्या फायदा है ?

भविष्य में अमेरिका जैसे देश अगर रूस पर हमला करते हैं तो NATO के नियमों अनुसार Ukraine से भी रूस पर हमला हो सकता है। जो कि वर्तमान में संभव नहीं है, और रूस सभी NATO देशों के बीच में घिर जाएगा जो Russia की हार की मुख्य वजह बन सकती है। दुनिया में दूसरे सबसे ताकतवर राष्ट्र को भी अमेरिका अपनी निगाहें दिखाकर डरा सकता है। जिसका बहुत ज्यादा फायदा अमेरिका को हो सकता है।

Russia को NATO से क्या नुकसान है

Ukraine के NATO से जुड़ने के बाद Russia NATO देशों से गिर जाएगा जिनमें से एक अमेरिका भी है ,और किसी भी देश मैं हमला करने पर रूस पर चारों ओर से हमला होगा जिससे रूस कमजोर हो जाएगा।

अमेरिका इसी मौके का फायदा उठाकर Ukraine और भी अन्य देशों की मदद से रूस को नजरें दिखाएगा और रूस यहां कमजोर साबित हो सकता है।

Ukraine पूरी तरह से रूस के कब्जे से बाहर हो जाएगा और यह रूस के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक बात साबित हो सकती है।

Ukraine और Russia के सैन्य शक्ति की तुलना 

वैसे तो इन दोनों देशों की आपस में तुलना एक आश्चर्य प्रयास है क्योंकि एक तरफ Russia दुनिया का दूसरा सबसे ताकतवर देश और एक तरफ युक्रेन जो कि आज भी Russia के दबाव में रहता है परंतु फिर भी एक बार नजर हम डालते हैं:-

LISTUKRAINE RussiaN
सेना11 लाख29 लाख
लड़ाकू विमान981511
हेलीकॉप्टर34544
टैंक259612246
बख्तरबंद गाड़ियां1230330122
बजट$6B$61.7B
एयरक्राफ्ट2254100

भारत की भूमिका

रूस और यूक्रेन की इस लड़ाई में भारत की भूमिका अहम है, क्योंकि भारत का इतिहास रहा है की वह कभी भी युद्ध नहीं चाहा है। भारत की विदेशी नीति यही बयान करती है की वह सभी को एक साथ लेकर चले। भारत का रूस के साथ बहुत अच्छा संबंध है वही दूसरी ओर अमेरिका से भी हम इस बात से परिचित है की यूक्रेन को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। अब यदि भारत पूरी तरह से रूस को सही ठहराया तो हमारी अमेरिका के साथ संबंध खराब हो सकते हैं। इस वजह से भारत चाहता है की अमेरिका सामने आए और इस युद्ध को वार्ता से सुलझाने का प्रयास करें।
इस युद्ध से पूरी दुनिया को नुक्सान पहुंच रहा है, यहां तक कि भारत को भी इसके प्रभाव प्रत्यक्ष हो रहे है। जोकि निम्नलिखित है:–

  • भारत रूस और Ukraine दोनों से ही बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर इंपोर्ट करता है।
  • भारत में होने वाली बहुत हद तक की यूरिया रूस और यूक्रेन से ही आती है जो हमारी कृषि अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
  • भारत अपनी सैन्य सुरक्षा हथियार रूस से ही खरीदता है।
  • भारत में 14% तक का सूरजमुखी तेल हम रूस से ही लाते हैं।
  • भारत की रूस से 9.4 अरब डॉलर तक की आयात-निर्यात हिस्सेदारी है। जिसमें रासायनिक खाद, खनिज न्यूक्लियर रिएक्टर आइटम और सैन्य शक्ति के हथियार शामिल है।
  • भारत की 2.6 अरब डॉलर की आयात हिस्सेदारी Ukraine के साथ है, जिसमें से 2 अरब डॉलर तो सिर्फ यूरिया और सूरजमुखी के तेल की है।
  • भारत की ओर से इलेक्ट्रॉनिक चेक मशीनें Ukrain ही खरीदता है।
  • भारत की तरफ से रासायनिक दवाओं और इलेक्ट्रॉनिक चिप्स का निर्यात बड़ी मात्रा में रूस और Ukraine को होता है।

ऑपरेशन गंगा क्या है?

27 फरवरी, 2022 को भारत के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने में सहायता के लिए 24×7 नियंत्रण केंद्र स्थापित किया। इंडिया ने ‘ऑपरेशन गंगा’ (Operation Ganga – OpGanga) नामक एक बहु-आयामी निकासी योजना शुरूआत किया है। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय वायु सेना भारत के सभी सभी नागरिकों को वापस सुरक्षित भारत लाने का कार्य कर रही है। अभी तक युक्रेन की सीमाओं के 30 किलोमीटर अंदर तक जाकर हमारी भारतीय वायु सेना लगभग 2000 नागरिकों को सुरक्षित भारत ला चुकी है। इस ऑपरेशन के अंतर्गत लगभग 15,000 फंसे भारतीयों को यूक्रेन से निकाला जाएगा।

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